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Saturday, February 17, 2024

 


प्रकाश विद्युत प्रभाव

                 जब किसी धातु पर उचित आवृति का प्रकाश पड़ता है तो उससे फोटो इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं इस घटना को प्रकाश विद्युत प्रभाव कहते हैं.

(फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव वह विज्ञान है जो किसी वस्तु पर प्रकाश के प्रतिक्रियात्मक उत्सर्जन को समझने के लिए प्रयुक्त होता है। जब किसी वस्तु पर प्रकाश की बुनियादी इकाई पड़ती है, तो यह वस्तु अपने ऊर्जा का एक भाग खो देती है और इस प्रकार इलेक्ट्रॉनों को मुक्त करती है। इस प्रक्रिया को फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव कहा जाता है। यह एक महत्वपूर्ण प्रमाण है कि वस्तुओं पर प्रकाश की चुंबकीयता या उनकी इलेक्ट्रॉनिक संरचना पर प्रकाश की प्रेरणा कैसे निर्भर करती है। इस प्रभाव का अध्ययन आधुनिक विज्ञान में विभिन्न उपयोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जैसे कि सौर ऊर्जा को उत्पन्न करने के लिए सोलर पैनल्स।)

Wednesday, May 24, 2023

Potential Energy of Dipole in a Uniform Electric Field/एकसमान वैद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा

 Potential Energy of Dipole in a Uniform Electric Field/एकसमान वैद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा:-


अनन्त से वैद्युत क्षेत्र में वैद्युत द्विध्रुव को लाने में किया गया कार्य वैद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा कहलाती है।
या
वैद्युत क्षेत्र में वैद्युत को उसकी शून्य ऊर्जा (अर्थात )अवस्था से किसी विशेष स्थिति () तक लाने में किया गया कार्य वैद्युत द्विध्रुव की उस स्थिति में उस में संचित स्थितिज ऊर्जा के तुल्य होता।




द्विध्रुव पर लगने वाले बलयुग्म का आघूर्ण,  विक्षेप की स्थिति पर

                                                               
इस स्थिति से द्विध्रुव को   कोणीय विस्थापन करने में किया गया कार्य

                                                              
अतः शून्य ऊर्जा (अर्थात )अवस्था से किसी विशेष स्थिति () तक लाने में किया गया कार्य अर्थात  वैद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा  विक्षेप की स्थिति पर,

                                                       

Tuesday, May 23, 2023

Work Done by Electric Dipole in Uniform Electric Field/वैद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव को घुमाने में किया गया कार्य

 Work Done by Electric Dipole in Uniform Electric Field/वैद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव को घुमाने में किया गया कार्य:-

किसी एक समान वैद्युत क्षेत्र में रखे वैद्युत द्विध्रुव पर कार्य करने वाला बलयुग्म का आघूर्ण बराबर होगा, यदि द्विध्रुव को वैद्युत क्षेत्र के साथ विक्षेप की स्थिति में रखा गया हो तो,

                                  बलयुग्म का आघुर्ण = -------------(1)

उपर्युक्त स्थिति से द्विध्रुव को विक्षेपित करने में किया गया कार्य


                                                                
                अतः से तक द्विध्रुव को घुमाने में किया गया कुल कार्य बराबर 
                                        
                                                             

                                                             -------------------------(2)
समी0 (1) से का मान समी0 (2) में रखने पर

                                                      

Sunday, May 21, 2023

Torque on Electric Dipole in uniform Electric Field/समरुप वैद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव पर लगने वाले बलयुग्म का आघूर्ण

Torque on Electric Dipole in uniform Electric Field/समरुप वैद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव पर लगने वाले बलयुग्म का आघूर्ण:-



                  एक समान वैद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव को विक्षेप ( ) की स्थिति में दिखाया गया है।द्विध्रुव के दोनों आवेशों पर लगने वाला वैद्युत बल समान होगा, परन्तु दिशा विपरीत होगी एवं दोनों की क्रियारेखायें भिन्न हैं.। इस प्रकार ये दोनों एक बलयुग्म बनाते हैं.। इस बलयुग्म के आघूर्ण को ग्रीक अक्षर (  ) से प्रदर्शित करते हैं।


                                         = बल * बलों की क्रिया रेखाओं के मध्य दूरी
     
                                           -------------------(1)

                                            ( ABC से )

Thursday, May 18, 2023

Electric Dipole/वैद्युत द्विध्रुव

 Electric Dipole/वैद्युत द्विध्रुव:-

वैद्युत स्थितिकी में, परिणाम में समान तथा प्रकृति में विपरीत दो आवेशों को एक -दूसरे से न्यूनत्तम दूरी पर रखकर बने निकाय को वैद्युत द्विध्रुव कहा जाता है।

                  वैद्युत द्विध्रुव एक सदिश भोतिक राशि है।

वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण:- माना दो समान परिणाम के q आवेश एक-दूसरे से न्यूनत्तम दूरी (2l) पर रखे हों, तो उनके बीच कार्य करने वाला वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण किसी एक आवेश के परिणाम तथा उनके बीच की न्यूनत्तम दूरी के गुणनफल के बराबर होगा.। इसे  से प्रदर्शित करते हैं।अर्थात-

                                               -----------------(A)

वैद्युत द्विध्रुव की दिशा ऋण आवेश से धन आवेश की ओर होती है।


Sunday, May 14, 2023

Electric intensity/ वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता:-

 Electric Field Intensity/वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता:- वैद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता उस बिन्दु पर धन परीक्षण आवेश पर लगने वाले वैद्युत  बल एवं धन परीक्षण आवेश की निष्पत्ति को कहते हैं, इसे से व्यक्त करते हैं।
वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता
                             
                                                                 
               यदि    
                तो      
"वैद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता उस वैद्युत  बल के बराबर होती है, जो उस बिन्दु पर एकांक धनावेश पर कार्यरतः होता है।"

Electric Field Intensity due to a point charge/किसी बिन्दु आवेश के कारण वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता:- 
         माना कोई बिन्दु आवेश +q मूल बिन्दु O(0,0,0,) पर रखा है, इस बिन्दु के कारण  बिन्दु P(x,y,z) पर   वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करने के लिए इस बिन्दु पर कोई धन परीक्षण +q0 आवेश को रखा गया है। माना बिन्दु

Sunday, April 30, 2023

विद्युत आवेश और विद्युत क्षेत्र:-

विद्युतस्थैतिकी:- वैद्युत की वह शाखा, जिसमें विरामवस्था में रहने वाले आवेश से आवेशित वस्तुओं के गुणों

का अध्य्यन किया जाता है,वैद्युत स्थैतिकी कहलाती है। अथवा

                              भौतिक  विज्ञान की वह शाखा जिसमें  स्थिर आवेशों का अध्य्यन किया जाता है, स्थिर विद्युतिकी कहलाती है।

विद्युत आवेश:-  वह भौतिक  राशि जो किसी वस्तु की धनात्मकता एवं ऋणत्म्कता को प्रदशित करती है, आवेश कहलाती है।आवेश का मात्रक कूलॉम होता है। यह एक भौतिक राशि है, तथा आवेश को "Q" से प्रदशित करते हैं। 
विद्युत आवेश की विशेषतायें:-  1. वैधुत आवेश की प्रकृति धन तथा ऋण होती है अर्थात वैद्युत आवेश धनात्मक एवं ऋणत्मक प्रकृति का होता है।

2. प्रकृति में समान आवेश एक दुसरे को आकर्षित करते हैं, जबकि विपरीत प्रकृति के आवेश एक- दुसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।  

3. वह गुण जो आवेशों में भेद करता, आवेश की ध्रुवता कहलाता है। 

4. किसी वस्तु पर आवेश होने पर उस वस्तु को आवेशित वस्तु कहा जाता है, जबकि उस वस्तु पर कोई आवेश नहीं होता है तो उसे अनावेशित वस्तु कहा जाता है।

आवेश का क्वाण्टमीकरण :- किसी वस्तु पर कुल आवेश इलेक्ट्र्रान के आवेश का पूर्ण गुणज होता है.। जिसे मूल आवेश कहते हैं, इसे "" से प्रदर्शित करते हैं.। आवेश का ये गुण आवेश की क्वाण्टम प्रकृति को दृर्शता है, इसे आवेश का क्वाण्टमीकरण कहते हैं। 

अर्थात, एक वस्तु से दुसरी वस्तु पर केवल इलेक्ट्र्रॉनों की पूर्ण संख्या ही स्थानान्तरित हो सकती है।

                                                        कूलॉम

जहॉ  

आवेश सरंक्षण का सिद्धान्त:- किसी विलगित निकाय का कुल आवेश नियत रहता है, इसे ही आवेश संरक्षण का सिद्धान्त कहते हैं।

या,आवेश को सदैव समान एवं विपरीत प्रकृति के युग्म में ही उत्पन्न किया जा सकता है ओर उदासीन भी किया जा सकता है।

या, किसी विलगित निकाय के कुल आवेश का बीजगणितीय योग सदैव नियत रहता है, यह किसी भी प्रक्रिया के सम्पन्न होने के पश्चात भी अपरिवर्तित रहता है।

कूलॉम का नियम:-  दो बिन्दु आवेशों के बीच कार्य करने वाला वैद्युत बल (आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण का बल ) दोनों आवेशों के परिमाण के गुणनफ़ल के अनुक्रमानुपाती होता है, तथा आवेशों के बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

यदि दो आवेश Q1 तथा Q2 एक दुसरे से  मीटर की दूरी पर स्थित हों तो उनके बीच कार्य करने वाला वैद्युत बल F होगा -

 

                                     ----------------(1)

                                         -----------------(2)                          

                                    ------------------(3)      

Saturday, April 8, 2023

Physics Class 12th

                                                             Chapter : Class 12th

Part-1

1. विद्युत आवेश और विद्युत क्षेत्र

2. स्थैतिक विद्युत तथा धारिता

3. विद्युत धारा।

4. गतिमान आवेश और चुंबकत्व।

5. चुंबकत्व एवं द्रव्य।

6. प्रत्यावर्ती धारा।

7. विद्युतचुम्बकीय तरंगें।

Part-2